Tuesday, December 1, 2009

आपकी याद

शाम  से  आंख  में  नमी  सी  है ,
आज फिर आपकी कमी सी है .

दफ़न कर दो हमें की साँस मिले ,
नब्ज कुछ देर से थमी सी है ;
शाम से आँख में नमी सी है .

वक्त रहता नही कंही टिक कर ,
इसकी आदत भी आदमी सी है ;
आझ फिर आपकी कमी सी है .

कोई रिश्ता नही रहा फिर भी ,
एक तस्वीर लाजमी सी है ।
शाम से आंख में नमी सी है ,
आज फिर आपकी कमी सी है .


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