शाम से आंख में नमी सी है ,
आज फिर आपकी कमी सी है .
दफ़न कर दो हमें की साँस मिले ,
नब्ज कुछ देर से थमी सी है ;
शाम से आँख में नमी सी है .
वक्त रहता नही कंही टिक कर ,
इसकी आदत भी आदमी सी है ;
आझ फिर आपकी कमी सी है .
कोई रिश्ता नही रहा फिर भी ,
एक तस्वीर लाजमी सी है ।
शाम से आंख में नमी सी है ,
आज फिर आपकी कमी सी है .
Tuesday, December 1, 2009
आपकी याद
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