Tuesday, December 1, 2009

बेवफा

जो न मिल सके वोही बेवफा , ऐ बड़ी अजीब सी बात है
जो चला गया मुझे छोर कर , वोही आज तक मेरे साथ है


जो किसी नज़र से अत्ता हुए , वही रौशनी है ख़याल में
वोह आसके राहों मुन्तजिर , यह खलिश कहाँ थे विसाल में
मेरी जुस्तुजू को ख़बर नही , वोह दिन रहे वोह रात है
जो चला गया मुझे चोर कर , वोही आज तक मेरे साथ है ...

करे प्यार लुब पे गिला हो , यह किसी किसी का नसीब है
यह करम है उस का जहाँ नही , वोह जुदा भी रह कर करीब है
वोही आँख है मेरी रूबरू , उस्सी हाथ में मेरा हाथ है
जो चला गया मुझे छोर कर , वोही आज तक मेरे साथ है

मेरा नाम तक जो लेसका , जो मुझे करार दे सका
जिससे इख्तेयार तू था मगर , मुझे अपना प्यार दे सका
वोही शख्स मेरी तलाश है , वोही दर्द मेरी हयात है
जो चला गया मुझे छोर कर , वोही आज तक मेरे साथ है...

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