मेरे दिल को सजा हो गयी है
जब से वो बेवफा हो गयी है
तन्हा--2 सा मौसम है सारा
सूनी-सूनी फिजा हो गयी है
उसके पहलू में रौशन दिए हैं
सुर्खी मुझको अदा हो गयी है
हाथ अपने उठाऊं ये मैं कैसे
हर दुआ बददुआ हो गयी है
जख्म की अब असीरी मिलेगी
दिल लगाना खता हो गयी है
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