आंचल में सजा लेना कलियाँ ,
जुल्फों में सितारे भरलेना
ऐसे ही कभी जब शाम ढले ,
तब याद हमें भी करलेना
आया था यहाँ बेगाना सा
चल दूंगा कहीं दीवाना सा
दीवाने की खातिर तुम कोई
इलज़ाम न अपने सर लेना
रास्ता जो मिले अनजान कोई
आजाये अगर तूफ़ान कोई
अपने को अकेला जान के तुम ,
आखों में आसूं भरलेना ,
ऐसे ही कभी जब शाम ढले ,
तब याद हमें भी करलेना....
Wednesday, November 25, 2009
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