Friday, November 13, 2009

आसान नही चलना,निगेहबान बहुत है
मुश्किल है वही काम जो आसान बहुत है

जीना ही पड़ेगा यहाँ पीकर हमें आंसू
गुलशन नही है कोई बियाबान बहुत है

काँटों से डरेंगे तो जियेंगे यहाँ कैसे
हर मोड़ पे ही मौत का सामन बहुत है

फरिश्तों को कहा ढूँढ ते हो इस जहान में
इन्सान तो नही यहाँ शैतान बहुत है

मिस्रा दिया है तुमने बहुत सोच समझकर
मेरी कलम चली तेरा अहसान बहुत है

No comments:

Post a Comment