अब चलो किस्मत के हम साथ चलें
हथेलियों पर ले अरमानों की सौगात चलें
कहॉ कब छूट जाए साथ ना मालूम
ज़िदगी जैसी है ले बारात एहतियात चलें
फासले हैं मगर दोनों ने छुपाए हैं
चंद अफ़सानों को ले दरमियॉ करते बात चलें
ज़माने को बदलने की फुरसत कहॉ हमको
ज़ज्ब कर अंधेरों को ले संग कायनात चलें
क्या सच है क्या झूठा समझना मुश्किल
दिखे जो साफ उस आसमॉ को ले बॉट चलें
बड़ी बातों में ना पड़कर संभाले ज़िंदगी
जितना भी चलें ले हॉथों में हॉथ चलें.
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